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International Journal of Sanskrit Research
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International Journal of Sanskrit Research

2018, Vol. 4, Issue 6, Part C

भारतीय षड्दर्शनों पर वैदिकधर्म का प्रभाव

डाॅ॰ देव निरंजन झा

ऋग्वेद में जगत् की उत्पत्ति, प्रलय आदि से सम्बन्धित वर्णनों को यदि भावी दार्शनिक पृष्ठभूमि कहा जाए तो अत्युक्ति नहीं होगी, किन्तु यह विचार काव्यमय माध्यम से व्यक्त हुए धार्मिक भाव है। वस्तुतः आत्मा, ब्रह्म, ईश्वर, जीव, जगत्, मोक्ष आदि ऐसे विषय हैं जो स्वरूप परिवर्तन तथा अन्तर के साथ प्रत्येक दर्शन का प्रतिपाद्य विषय रहे हैं। श्वेताश्वतर, कठ, छान्दोग्य, बृहदारण्यक, तैत्तिरीय, माण्डूक्य, प्रश्न आदि उपनिषदों में अधिकांशतः ऐसे विचार हैं, चिन्तन हैं, जिनका अधिष्ठान लेकर षड्दर्शनों के भवन का निर्माण हुआ है। निःसंदेह उपनिषदों से ही चिन्तनों को संगृहीत एवं व्यवस्थित कर षड्दर्शनों का निर्माण महर्षियों ने किया। उपनिषदों में बिखरे हुए चिन्तनसूक्तो को संगृहीत कर अपने सूत्रों की रचना की।
Pages : 163-165 | 703 Views | 133 Downloads


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How to cite this article:
डाॅ॰ देव निरंजन झा. भारतीय षड्दर्शनों पर वैदिकधर्म का प्रभाव. Int J Sanskrit Res 2018;4(6):163-165.

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