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International Journal of Sanskrit Research
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International Journal of Sanskrit Research

2022, Vol. 8, Issue 2, Part D

ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्य में शास्त्रप्रमाणकत्वविषयक वाद-प्रतिवाद

जया सिंह

अद्वैत वेदान्त के अनुसार अनेकविद्यास्थानों से उपबृंहित, प्रदीप के समान समस्त अर्थ का प्रकाशन करने वाले तथा सर्वज्ञकल्प ऋग्वेदादि शास्त्रों का कारण ब्रह्म है तथा उपरोक्त शास्त्र ही ब्रह्म के यथार्थस्वरूप के अधिगम में प्रमाणभूत हैं। पूर्वमीमांसक इस स्थापना का विरोध करते हैं क्योंकि उनके अनुसार समस्त वैदिक वाक्य विधि या क्रिया के बोधक होते हैं। जिन वैदिक वाक्यों में विधि का प्रतिपादन नहीं होता है वे निरर्थक होते हैं। चूँकि ब्रह्म के प्रतिपादक वेदान्त वाक्यों से नित्यशुद्धबुद्धनिष्क्रिय ब्रहम का बोध कराया जाता है जो कि क्रियाभिन्न है, अतः वेदान्तवाक्य तथा उनसे प्रतिपादित ब्रह्म शास्त्रप्रमाणक नहीं हैं। आचार्य शंकर मीमांसकों के इस आक्षेप का प्रतिवाद करते हैं तथा श्रुतिवाक्यों एवं तर्कों से ब्रह्म के शास्त्रप्रमाणकत्व को स्थापित करते हैं।
Pages : 201-204 | 490 Views | 185 Downloads


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How to cite this article:
जया सिंह. ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्य में शास्त्रप्रमाणकत्वविषयक वाद-प्रतिवाद. Int J Sanskrit Res 2022;8(2):201-204.

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