रूपकों की ज्ञानमीमांसा उसके तत्त्वमीमांसा पर आधारित है। ये तत्त्व है- वस्तु, नेता तथा रस। यही तीन तत्त्व रूपकों के बीज है जो विस्तारित होकर वृक्ष का रूप लेते है। प्रामाणिक और प्राथमिक स्त्रोतों के आधार पर रूपकों की तत्त्वमीमांसा के विवेचन से स्पष्ट होता है कि वस्तु, नेता एवं रस ही रूपकों के मूल तत्त्व है। जिससे दस रूपकों के भेद तथा लक्षण, कथावस्तुओं के विभिन्न प्रकार, नायक नायिका के प्रकार, उनके सहायक, तथा रसों के भेदोपभेद का विवेचन-विश्लेषण होता है। कथावस्तु, नेता एवं रस का सैद्धान्तिक, लाक्षणिक एवं प्रासंगिक विवेचन प्रस्तुत शोधपत्र में किया गया है।
Vivek Kumar, Dr. Satya Prakash Srivastava. संस्कृत रूपकों की तत्त्व मीमांसा. Int J Sanskrit Res 2022;8(5):74-78. DOI: 10.22271/23947519.2022.v8.i5b.1861